क्यूँ ना आज कुछ यूँ किया जाए
तुम्हारी यादों के संग जिया जाए
वक़्त को आज अपना बनाया जाए
प्यार दिल खोल के जताया जाए
घरोंदा इक ऐसा अपना बनाया जाए
हर तिनका प्यार से सजाया जाए
जश्न-ए-उल्फत यूँ मनाया जाए
मेला खुशियों का लगाया जाए
महफ़िल को रंगीन सा बनाया जाए
साज-ए-मोहब्बत ही बजाया जाए
अनबुझी प्यास को यूँ बुझाया जाए
जाम-ए-मोहब्बत ही पिलाया जाए
दोस्ती को कुछ यूँ निभाया जाए
दिल खोल के यार क़ो दिखाया जाए
दूरियों को ऐसे खत्म किया जाए
प्यार दिया जाए प्यार लिया जाए
मुस्कराऐं जब भी याद किया जाए
वादा ये ख़ुद से आज किया जाए
*उल्फत- प्यार; मुहब्बत; स्नेह; प्रेम।
G046
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