Posted inGhazal/Nazm आज फिर हमसे Posted by Bhuppi Raja September 1, 2000No Comments आज फिर हमसे आज फिर हमसे परदादारी हैइतना ज़ुल्म क्या खता हमारी है चाँद कब बादलों से निकलेगाइन्तज़ारे-इन्तहाँ बेकरारी है कुछ यादें दबी है दिल में हमारेयादों संग अपनी गहरी यारी है दूरियां कितना भी हो दरमियांवो ज़िन्दगी आज भी हमारी है मदहोशियाँ फिज़ा में छायी हैनिगाहें उनकी आज आबकारी है हर तरफ छाही है काली घटाएंआज फिर उनकी ज़ुल्फकारी है आज वो हमको गले लगा लेंगेआज उनके यहा ईफ़तारी है महफिल मे कब परदा उठेगाइक-इक लम्हा हम पे भारी हैG022 Post navigation Previous Post मुहब्बत में जबNext Postहर चमन में