Posted inGhazal/Nazm तुम साथ हो Posted by Bhuppi Raja July 1, 1999No Comments तुम साथ हो गर हो तुम साथ बूँद भी बरसात हैसुबह सुहानी शाम मस्तानी मदहोश हर रात है कल-तक तो ज़िन्दगी का हर लम्हा था भारीआज ये ज़िन्दगी आप की ही सौगात है कभी सूने दिल में इक सहरा था बसताअब तो जिधर देखिये उमड़ते जज़्बात हैं कशिश तो कशिश है दोनों तरफ उठेगीये मोहब्बत नहीं तो फिर और क्या बात है विरह के रात-दिन काटे नहीं थे कटतेअब तो हर रात हमारी सुहागरात है *विरह- वियोग, अभावG044 Post navigation Previous Post तू सुकूं हैNext Postतुम ख़ुद को