Posted inGhazal/Nazm हमने इक शाम Posted by Bhuppi Raja January 1, 2001No Comments हमने इक शाम हमने इक शाम सुर्ख फूलों से सजायी है और तुमने ना आने की कसम खायी है दुआ होगी कबूल मेरी ये जानता हूँ मैं हमने इक शमा तेरे दर पे जलायी है जलेगा उम्मीदें चिराग मेरी सांसों तक हमने ये शर्त आँधियों से लगाई है बुतपरस्ती का इलज़ाम लगाते है लोगहमने तेरी मूरत इस दिल में बसायी है समुन्दर कई पीयें पर मन प्यासा… ही रहाहमने ये प्यास अंगारों संग बुझायी है जाते हुए उस दिन तेरा मुड़ के देखनातूने इक उम्मीद इस दिल मैं जगायी है ये मेरा दिल हैं या कोई बंद तहखना हमने तेरी हर बात दिल में छुपाई है तू मेरा दोस्त है हमदर्द है या हमसाया हमने इस दिल में तेरी हर जगह बनायी हैG018 Post navigation Previous Post तेरे कदमों मेंNext Postकुछ गम नहीं