हमने इक शाम

हमने इक शाम

हमने इक शाम सुर्ख फूलों से सजायी है  
और तुमने ना आने की कसम खायी है
 
दुआ होगी कबूल मेरी ये जानता हूँ मैं 
हमने इक शमा तेरे दर पे जलायी है   
 
जलेगा उम्मीदें चिराग मेरी सांसों तक 
हमने ये शर्त आँधियों से लगाई है
 
बुतपरस्ती का इलज़ाम लगाते है लोग
हमने तेरी मूरत इस दिल में बसायी है 
 
समुन्दर कई पीयें पर मन प्यासा… ही रहा
हमने ये प्यास अंगारों संग बुझायी है
 
जाते हुए उस दिन तेरा मुड़ के देखना
तूने इक उम्मीद इस दिल मैं जगायी है
 
ये मेरा दिल हैं या कोई बंद तहखना 
हमने तेरी हर बात दिल में छुपाई है
 
तू मेरा दोस्त है हमदर्द है या हमसाया 
हमने इस दिल में तेरी हर जगह बनायी है

G018

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