Posted inGhazal/Nazm यकीन आता नहीं Posted by Bhuppi Raja January 3, 1997No Comments यकीन आता नहीं यक़ी आता नहीं अब तेरी बेगुनाही मेंबहुत धोखे खाये हैं हमने आशनाई मेंहर गुनाह तुम्हारा मैं अपने नाम ले लूंयही तो कहते रहे तुम मेरी रिहाई मेंकाटता हूँ सजा मैं तेरे हर गुनाह कीहोता नहीं दर्द तुझे मेरी बेगुनाही में कत्ल करके तुम साफ बच निकलते होमिटा देते हो सब सबूत बडी सफाई में चाहे कुबेर बनालो बेगुनाहों के खून सेकभी बरकत होती नहीं ऐसी कमाई में इतने गुनाह करके भी मासूम दिखते होकैसे जी लेते हो तुम इतनी बेहयाई में मिलता है सिला सबको किए कर्मो काताकत बहुत है उस रब की ख़ुदाई मेंG073 Post navigation Next Postदुनिया खेल तमाशा है