Posted inKavita Short Poem प्रतिबिम्ब Posted by Bhuppi Raja December 26, 2022No Comments प्रतिबिम्ब जब कभी भीतुम्हारी आँखों मेंमैं अपना प्रतिबिम्ब देखता हूँपहचानने की कोशिश करता हूँक्या ये मेरा ही है लेकिन मैंकोशिश ही करता रहता हूँऔर वहअपना आकार बदल देता है कोशिशेंएक बार फिरनाकामयाब हो जाती हैऔर मैं बेबस, लाचार तुम एक मूक दर्शक की भांतिमेरी इस बेबसी परमुस्कुरा भर देती हो और मैंजुट जाता हूँएक बार फिरअपना प्रतिबिम्ब पहचानने…K022 ग़ज़ल/ नज़्म दोहे कोट्स Post navigation Previous Post सत्यNext Postचाँद