कुछ ख़्वाब अधूरे

कुछ ख़्वाब अधूरे

कुछ ख़्वाब अधूरे है पूरे कर दो ना
कुछ ज़ख़्म धतूरे है मरम कर दो ना 
 
बहारे रूठ गयी मौसम फ़िज़ा का है
बादल बन चाहत की बारीश कर दो ना 
 
अंधेरे हैं हर तरफ उजाले उदास हैं
चांदनी बन दिल को रौशन कर दो ना
 
उदास उतरे चेहरे लावारिस भटक रहे
दर अपना उनको देकर जीवन भर दो ना
 
यह सफ़र जिंदगी का अब तन्हा नहीं करता 
इन जुल्फ़ो की छाँव में छोटा सा घर दो ना
 
वीरान सूनी आँखों और ना उम्मीदें हैं
मीठे प्यारे सपने आँखों में भर दो ना 
 
सुलग रहे हैं अरमा कब से याद नहीं 
अपने नाजुक होंठ इन पे धर दो ना
 
जिस चेहरे पे तुमको नफरत दिखती हो 
उन चेहरों पे मिट्टी प्यार की मल दो ना

G060

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