Posted inGhazal/Nazm कुछ ख़्वाब अधूरे Posted by Bhuppi Raja January 3, 1999No Comments कुछ ख़्वाब अधूरे कुछ ख़्वाब अधूरे है पूरे कर दो नाकुछ ज़ख़्म धतूरे है मरम कर दो ना बहारे रूठ गयी मौसम फ़िज़ा का हैबादल बन चाहत की बारीश कर दो ना अंधेरे हैं हर तरफ उजाले उदास हैंचांदनी बन दिल को रौशन कर दो ना उदास उतरे चेहरे लावारिस भटक रहेदर अपना उनको देकर जीवन भर दो ना यह सफ़र जिंदगी का अब तन्हा नहीं करता इन जुल्फ़ो की छाँव में छोटा सा घर दो ना वीरान सूनी आँखों और ना उम्मीदें हैंमीठे प्यारे सपने आँखों में भर दो ना सुलग रहे हैं अरमा कब से याद नहीं अपने नाजुक होंठ इन पे धर दो ना जिस चेहरे पे तुमको नफरत दिखती हो उन चेहरों पे मिट्टी प्यार की मल दो नाG060 Post navigation Previous Post तू मेरा हो नहीं सकताNext Postआज इतनी इनायत