अब आ भी जा

अब आ भी जा

अब आ भी जा फिर ना कभी जाने के लिए
तू ही बता क्या करूं मै तूझे मनाने के लिए
 
ये मासूम सा दिल मेरा कितने सितम सहे
क्या तुझे मैं ही मिला था यूँ सताने के लिए
 
अब और ना बड़ा तू मेरा दर्द-ए-ज़िगर
लोग क्या कम थे मेरा दर्द बढ़ाने के लिए
 
और कितने इम्तिहानों से गुज़रना पड़ेगा
सारी उम्र पड़ी है मुझे आज़माने के लिए


हम सा दीवाना तुम्हें और कहीं न मिलेगा
लोग तो बहुत मिलेंगे दिल जलाने के लिए
 
आँखों में रोके आँसू अब और नहीं रुकते
बहुत दर्द होता है इन्हें छुपाने के लिए
 
आओ अपने घर को हम मिलके सजाएं
उम्र लग जाती है घर इक बनाने के लिए
 
क्यूँ रोए आप तन्हाईयों में यू मेरे लिये
कौन रोता है अब इस दीवाने के लिए


इतना मशहूर हो गए है हम तेरे शहर में
गैर भी आने लगे हमें समझाने के लिए
 
छोटी सी है ज़िन्दगी हँसकर गुज़ार दे
कही कल हम ही ना रहें तुम्हें मनाने के लिए

G030

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