हाल-ए-दिल

हाल-ए-दिल

हाले दिल कुछ उन्हें यूं सुनाया गया
अपने दिल क़ो किताबा बनाया गया
 
इज़हारे-उल्फत कुछ यूं किया हमने
हर सफ़े मे गुलाबा सजाया गया
 
रोशनारा महफ़िल भी यूं की हमने
ज़िगर-ए-लहू चिरागा जलाया गया
 
ख़यालों से मेरे जब वो गुज़रा किए
बेख्याली मे भी मुस्कुराया गया
 
जब भी मिलने कि जिद्द की  दिल ने मेरे
बामुश्किल इस दिल को समझाया गया
 
जब क़भी उनकी यादों का आना हुआ
हर तरफ अपने यारा को पाया गया
 
मनाने से मेरे वो भी मुस्कुराने लगे
जब भी रूठे शिद्द्त से मनाया गया
 
दास्तां मेरी सुनते ही वो रो दिए
हमसे और न हाल-ए-दिल सुनाया गया
 
बेख़ुदी का मेरे राज वो जान गए
जामे-इश्क जब यारा को पिलाया गया
 
यूं किया हमने अपने ही दिल पे सितम
दर्द-ए-दिल जब यारा से लगाया गया
 
उसने पूछा ‘राजा’ तेरे दिल मे क्या है
दिल-ए-आईना यारा को दिखाया गया

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