Posted inKavita Short Poem मृगतृष्णा Posted by Bhuppi Raja September 26, 2022No Comments मृगतृष्णा मृगतृष्णा कब तक भटकेगीकब तक उसका लहू टपकेगाकब तक उसकी सांस चलेगीकितना दौड़ पाएगी वोरिसते जख्मों के साथ ज़माना शिकारी हो गयालोग शिकार करने लगेजिनका निशाना कभीचूकता नहीं तृष्णा मर गई!समझो मृग मर गयामृग मर गया!शायद तृष्णा जिंदा रहे लेकिन अंत तो सर्वविदित हैचाहे मृग का होया उसकी तृष्णा का…KO25 ग़ज़ल/ नज़्म दोहे कोट्स Post navigation Previous Post बड़ी मुश्किल सेNext Postतृष्णा