हाल-ए-दिल

हाल-ए-दिल उन्हें यूँ सुनाया गया

दिल को अपने किताबा बनाया गया

 

इज़हार-ए-उल्फत कुछ यूँ की हमने

Khushbuyen hava mai kuchh yun meheki

हर-इक सफ़े मे गुलाबा सजाया गया

 

रोशनी महफिलों में कुछ यूँ की हमने

ज़िगर-ए-लहु चिरांगा जलाया गया

 

खयालों से मेरे जब भी वो गुज़रे

तो बे-खयाली में भी मुस्कुराया गया

 

जब भी मिलने की जिद की है दिल ने

बामुश्किल इस दिल क़ो समझाया गया

 

जब भी उनकी  यादों का आना हुआ

हर तरफ अपने यारा को पाया गया

 

मनाने से मेरे वो भी मुस्कुराने लगे

जब भी रूठे शिद्दत से मनाया गया

 

दास्तान मेरी सुनते ही वो रो दिए

हमसे और न हाले दिल सुनाया गया

 

बेख़ुदी का मेरे राज वो जान गए

जाम-ए-इश्क जब उने भी पिलाया गया

 

यूँ हमने किया अपने ही दिल पे सितम

दर्द-ए-दिल जब उनसे लगाया गया

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