सूरज चाँद सितारे सब तुम्हारे हो जाएंगे
आप जिस दिन हमारे हो जाएंगे
हैं मेरे सब ये बचपन के संगी-साथी
आप के भी ये सब दुलारे हो जाएंगे
जब भी देखोगे इन्हें तुम मेरी नज़रों से
सुहाने फ़िज़ा के ये सब नज़ारे हो जाएंगे
ना समझे गर ये दुनिया हमारी चाहत
हम तो इक दूजे के सहारे हो जाएंगे
गर खो दिया हमने बेख़ुदी मे तुमको
हम आसमां से टूटे सितारे हो जाएंगे
यूँ ना निकला करो सरेआम बेनक़ाब
तुम्हारे चाहने वालों के नज़ारे हो जाएंगे
गर अपना बनाना तो छोड़ के ना जाना
वरना हम फिर से बेसहारे हो जाएंगे
*फ़िज़ा- बहार; शोभा; रौनक।
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