नशा रूहानी

नशा रूहानी चाहिएतो जाम रूहानी पी जो होंगा उसकी रजातू मस्त जवानी जी… चिंता करके कल किकाहे गवाएं आज पल-पल का…

बहुत चोट खाये

चोट बहुत खाये हो बताते नहींदिल में छुपाया है सब दिखाते नहीं मुस्कुरा तो रहे हो मगर आँखें हैं नमक्यूँ…

मेरी हसरतों को

मेरी हसरतों को कितना तरसाओगेकभी तो तुम ख़ुद मैं मुझको पाओगे कश्ती मेरी मझधार ले जा तो रहे होडूब गया मैं तुम भी तो डूब जाओगे मैं कतरा ही सही, मेरा कुछ वजूद तो हैमैं न हूँ तो, समंदर क़ो तरस जाओगे मैं वक़्त हूँ, थाम लो मुझे बाहों मेंगुजर गया पल तो, सोचते रह जाओगे अभी तो रात बाकी है, घूम लो आवारासूबह तो तुम लौट के, घर ही आओगे आवाज़ दोगे जब भी दिल के झरोखों सेसामने दिखूँगा जब भी मुझे बुलाओगे जलेगा उम्मीदें-चिरागा, मेरे बुझने तकहर लो में दिखूँगा, जो शमा जलाओगे भूले से भी कोशिश करोगे, भूलने कि मुझेउतना याद आऊंगा, जितना मुझे भुलाओगेG074

यकीन आता नहीं

कैसे यक़ीन करूँ मैं तेरी बेगुनाही मेंबहुत धोखे खाये हैं हमने आशनाई में तुम्हारा हर गुनाह मैं अपने नाम…

तन्हा दिल तन्हा सफर

तन्हा दिल, तन्हा सफरतन्हा चाँद, तन्हा डगर भीड़ है अकेलों कीकौन किसका हमसफर कहने को सब साथ हैंकौन अपना है मगर धुआं धुआं है ज़िन्दगीधुआं धुआं है ये शहर खो गए सब रास्तेखो गया है अपना घर कौन देखे मेरा गमकौन सी है वो नज़र ख़्वाहिशें दम तोड़तीआया कैसा ये भंवर ‘राजा’ चलाना हुआआज की ताजा ख़बरG072

अश्क़ बहते नहीं

अश्क़ बहते नहीं अब तेरी बेवफाई मेंहम खुश रहते हैं उस रब की रज़ाई में दूर रहके भी सुकूं तलाश…

दिल को पत्थर

दिल को पत्थर भी कर लूं, तो भी क्या हो जायेगातेरी यादों का, क्या सिलसिला रुक जाएगा शमा जलते ही तेरे, साये का चले आनाऔर मुझमें समा जाना, क्या ये भूल पाएगा गम नहीं बांटे थे, हमने ज़िन्दगी थी बांट लीफिर भी तेरा चले जाना, क्या वफ़ा कहलायेगा मोहब्बत-ए-सुरूर, जो तुम्हारी आँखों में ख़ुमार थागर वही ना रहा, तो और क्या रह जाएगा कोशिशें जितनी भी कर लो, तुम मुस्कुराने कीगर हम ही ना रहे तो आँसू छलक ही जायेगाG070

जब कभी तेरी

जब कभी तेरी याद आती हैरात आँखों में गुज़र जाती है मेरी तन्हाई मेरा हमसफरमेरा पल-पल साथ निभाती है कब…

जब से गये हो तुम

जब से गये हो तुम परेशां हूँ मैंजिंदा हूँ कैसे अब तक हैरां हूँ मैं नज़रों से दूर तुम…

उसको मेरा दर्द

उसको मेरा दर्द अब समझ आया होगाजब किसी दोस्त ने दिल उसका दुखाया होगा महफ़िल में मिला होगा वो…

ना तुम्हारा दिन निकलेगा

न तुम्हारा दिन निकलेगा न हमारी रात होगीन ज़िन्दगी में कोई जुम्म-ए-रात होगी शाम-ए-सफ़र में जब भी तन्हा होंगे…

तन्हा-तन्हा सा

तन्हा-तन्हा सा मेरा ये मन क्यूँ हैतू है गर साथ तो आँख नम क्यूँ है तन्हा है चाँद और…

अश्क बहते हैं

अश्क बहते हैं सारी रात कि तुम आ जाओआँसुंओं की है बरसात कि तुम आ जाओ ख़यालों की स्याही…

तू मेरा हो नहीं सकता

तू मेरा हो नहीं सकता जानता हूँ मगरदिल फिर भी लगाने को जी चाहता है नीस्त-ओ-नाबूद हो जायेगी हर हसरत…

यूँ मेरा कत्ल

मेरा कत्ल करवाने की ज़रूरत क्या थीइतनी ज़हमत उठाने की ज़रूरत क्या थी हम ख़ुद ही अपना सर सूली…

हम तो मिट जाएंगे

तुम जैसा जहां में कोई सितमगर न होगामगर हम जैसा भी कोई करमगर न होगा तुम्हें नामावर तो मिल…

कुछ ख़्वाब अधूरे

कुछ ख़्वाब अधूरे हैं पूरे कर दो नाकुछ ज़ख़्म धतूरे हैं मरहम भर दो ना बहारें रूठ गयी मौसम…

कश्ती मेरी कितना

कश्ती मेरी और कितना मझधार में ले जाओगेमैं डूब गया तो तुम भी कहाँ बच पाओगे मैं कतरा ही सही मेरा कुछ वज़ूद तो हैमैं ना हूँ तो समंदर को तरस जाओगे रात अभी बाकी है घूम लो आवारासुबह तो तुम लौट के घर ही आओगे ढूँढोगे जब भी मुझे, दिल की आँखों सेहर तरफ मैं दिखूँगा, जिधर नज़र घुमाओगे मैं आज हूँ थाम लो मुझे बाहों मेंगुज़र गया कल तो बहुत पछताओगे जलेगा उम्मींद-ए-चिरागाँ मेरी साँसो तकहर लौ में दिखूँगा, जो शमा जलाओगेG059

अपने चेहरे को

अपने चेहरे को गर दिल का आईना बनाइएतो लोगों के पत्थरों से बचकर दिखाइए दर्द कितने भी हों नासाज़ बस मुस्कुराते रहिएगर रो पड़े तो बिखरने से बच कर दिखाइए ज़ख्म कितने भी मिले खुद सिला कीजिएइन्हें खुला छोड़कर नासूर ना बनाइये दर्द दिल के अपने सब छुपाये रखियेइनकी खुलेआम नुमाइश ना लगाइए दर्द की नुमाइश में सुकूं मत तलाश करदर्द को लम्हा-लम्हा पी कर दिखाइए *नासूर- ऐसा घाव जिसमें से बराबर मवाद निकलता हो, नाड़ी व्रण।*नुमाइश- दिखावट, प्रदर्शन। प्रदर्शनी।G058

आज इतनी इनायत

आज इतनी इनायत कीजियेरुख से पर्दा हटाने दीजिये बादलों! अपने पहरे हटालोचाँदनी ज़मीं पे आने दीजिए मुद्दतों बाद मिले हो…