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    यूँ मेरा कत्ल करवाने की ज़रूरत क्या थी
    इतनी ज़हमत उठाने की ज़रूरत क्या थी

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    कुछ गम नहीं जो मौत, गले लगा ले
    गर इक घड़ी भी तू मुझें,अपना बना ले

    G006 Bekhayali mai barha

    बेख्याली में बरहा वो ये भूल जाते हैं
    नशेमन हो शबाब तो रिंदे लूट जाते है

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    ना ज़फा में तड़पे ना वफ़ा में मुस्कुराए

    ऐसी भी ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी कहलाए

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    दिल में तेरे बता क्या है
    हमसे हुई खता क्या है

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    बेखयाली में बरहा
    बेख्याँली में वो अक्सर भूल जाते हैं
    नशेमन हो शबाब तो रिंदे लूट जाते हैं
    जिसका गम है
    जिसका गम हैं बस वही जाने
    दूसरा और कोई क्या जाने 
    ये भी क्या बात हुई
    यें भी क्या बात हुई, की वो बात नहीं करते 
    पहले जैसी हमसे वो, मुलाक़ात नहीं करते 

    कविता

    ज़िन्दगी

    ज़िन्दगी तू क्यूँ रेत बन गयी

    मैं जब-जब तुझे

    बेटी की पुकार

    क्यूँ हिला देते हो
    मेरी अंतरात्मा को झिंझोड़कर

    आत्मसाक्षात्कार

    यह तो विदित है
    कि मैं किशोरी नहीं

    इमेज शायरी

    रीसेंट/पॉपुलर

    ज़िन्दगी आराम का सामान

    ज़िन्दगी आराम का सामान बन के रह गयी

    आरज़ू इक घर की थी मकान बन के रह गयी

    हर आदमी अकेला

    हर आदमी अकेला परेशान बहुत है

    इस शहर में दोस्त कम अंजान बहुत है

    सहरा में मीराज़ दिखाकर

    सहरा में मीराज़ दिखाकर मुझे भटकाने वाले

    तुम्हींतो थे मेरे रहबर मुझे राह दिखाने वाले

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    Image Slide 1
    Highland Cattle
    Image Slide 3
    Grizzly Bear
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    Shadow

    NAZAM KA TAB HAI YE

    KAVITA KA TAB HAI YE