ये भी क्या बात हुई की वो बात नहीं करते
पहले जैसी अब वो मुलाक़ात नहीं करते
ये उनकी बेरूखी बेबसी या बेवफाई है
ना जाने क्या बात है क्यूँ बात नहीं करते
बेबसी में कभी बात करनी पड़ भी जाए
बस उतनी ही बात करते हैं हर बात नहीं करते
महफ़िल में गर कभी उनसे सामना हो जाए
नज़रो से अब वो प्यार कि बरसात नहीं करते
तन्हाई में कभी वो सामने से गुज़र जाएं
हिज़ाब उठाकर अब हमें हैरात नही करते
पहले तो बात-बात पे वो तकरार करते थे
अब खामोश रहते है सवालात नहीं करते
छोटी सी जिंदगी हैं मोहब्बत में गुज़ार दो
इस ज़िन्दगी को यू ही बर्बाद नहीं करते
ना कद्र हो ‘राजा’ की दिल से जहाँ पे
वहा हम बर्बाद अपने जज्बात नहीं करते
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