मृगतृष्णा

मृगतृष्णा

मृगतृष्णा कब तक भटकेगीकब तक उसका लहू टपकेगाकब तक उसकी सांस चलेगीकितना दौड़ पाएगी वोरिसते जख्मों के साथ ज़माना…
बड़ी मुश्किल से

बड़ी मुश्किल से

बड़ी मुश्किल सेचलना सीखा हैकदम दो कदममुझे कदम-कदमसहारा देकरअपाहिज न बना दो गिरूंगा, उठूंगा,दौडूंगा भी एक दिन मुझे कमजोर ना…
मैं जब-जब जला

मैं जब-जब जला

मैं जब-जब जलाबाती संग जला,जब खत्म हुआ तेलबुझना ही पड़ा, क्या मेरा जीवन यूं हीअकारथ गयानहीं मैंने रोशनी भी…
होश आया तो

होश आया तो

होश आया तोबेहोश हो चुका थालहू का आखिरी कतरा भीटपक चुका थाउन्हें देखकरजीने की ललक जागी थीघर का…
तू मुझ में नहीं

तू मुझ में नहीं

तू मुझ में नहीं तो किसमें हैतेरा रहमो-करमतो हर शख्स पे हैमैं भी तेरे जहाँ का इक हिस्सा…
शम्मा के साथ

शम्मा के साथ

शम्मा के साथजब किसीबेबस की आँख सेआँसू टपकते हैं, तब हम लोग उसेकैनवास में उतार करमोनालिसा बना देते हैं, और…
कितना अकेला

कितना अकेला

कितना अकेला होता हूंजब तुम्हारे साथ होता हूं,कितने आंसू पीता हूंजब मुस्कुराहटे बिखेरता हूं, गुनहगार कहलाता हूंजब कोई गुनाह…
इन्तज़ार

इन्तज़ार

क्यूँ इन्तज़ार करता है नासमझक्यूँ राह तकता है नासमझकिसी का बेकरारी सेयहाँ कोई नहीं आयेगातुझे श्रद्धा सुमन अर्पित…
मुझे अपना जिस्म

मुझे अपना जिस्म

मुझे अपना जिस्म बनालोअपने जिस्म का हर निशाँमेरे जिस्म पर बना दो मुझे अपना आईना बनाआँखों में बसालोगर बन…
नैना बरसत जाए

नैना बरसत जाए

नैना बरसत जाए हाएपिया घर न आए हाए... कल तक जो मेरा संगी थाआज दूर हो जाए हाए... इस सावन…
बहुत हैं दुनिया में

बहुत हैं दुनिया में

बहुत है दुनियां मे लोग, दर्द बढ़ाने वाले हमसे कहां मिलेंगे, मरहम लगाने वाले  लगाते है लोग रोज, दर्दो की…
क्यूँ तुम मुझमें

क्यूँ तुम मुझमें

क्यों तुम मुझ में अपना, ख़ुदा ढूढ़ते होआप भी न जाने ये, क्या ढूढ़ते हो मुझको तो अपनी ही…
बेखयाली  में बरहा

बेखयाली  में बरहा

बेख्याँली में बरहा, वो ये भूल जाते हैंनशेमन हो शबाब तो, रिंदे लूट जाते है मोहँब्बत नहीं आसान, ये…
जिसका गम है

जिसका गम है

जिसका गम हैं बस वही जानेदूसरा और कोई क्या जाने  वो ना समझे है ना समझेंगे कभीहम फिर भी…
ये भी क्या बात हुई

ये भी क्या बात हुई

यें भी क्या बात हुई, की वो बात नहीं करते पहले जैसी हमसे वो, मुलाक़ात नहीं करते  ये उनकी बेरूख…
सहरा में मिराज दिखाकर

सहरा में मिराज दिखाकर

सहरा में मीराज़ दिखाकर, मुझे भटकाने वालेतुम्हीं तो थे मेरे रहबर, मुझे राह दिखाने वाले  बहोत खुश ना हो…
हर आदमी अकेला

हर आदमी अकेला

हर आदमी अकेला, परेशान बहुत हैं इस शहर में दोस्त कम, अनजान बहुत हैं  आदमी को कामिल नहीं, कतरा भी…