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ग़ज़ल/ नज़्म     कविताएं     दोहे     कोट्स 
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ज़िन्दगी आराम का सामान बन के रह गयी
आरज़ू इक घर की थी मकान बन के रह गयी

ग़ज़ल/ नज़्म

दर्शन/ Phylosophy

G001

1. ज़िन्दगी आराम

G002

2. हर आदमी

G003

3. सहरा में मिराज

G005

4. जिसका ग़म है

G008

5. बहुत हैं दुनिया में

G009-ye-jo-zindagi-ki-kitab-hai

6. यें जो जिंदगी

G033

7. आज यहाँ हर

G038

8. फिर वही

G047

9. अभी हममें

G049

10. आँखों में सेहरा

G050

11. जिंदगी मेरी

G052

12. ना कोई आँख

G053

13. काश! मैं भी

G058

14. अपने चेहरे को

G059

15. कश्ती मेरी

G062

16. यूँ मेरा क़त्ल

G076

17. नशा रूहानी

G010

18. बहुत गुनाह

G012

19. कोई बस्ती तो

G013

20. कुछ ही लोग

G014

21. कोई मुझको

G011

22. क्यूँ मोहब्बत में

कविताएं
भुप्पी राजा के दोहे
कोट्स
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