ज़िन्दगी आराम का सामान बन के रह गयीआरज़ू इक घर की थी मकान बन के रह गयी ग़ज़ल/ नज़्म दर्शन/ Phylosophy 1. ज़िन्दगी आराम 2. हर आदमी 3. सहरा में मिराज 4. जिसका ग़म है 5. बहुत हैं दुनिया में 6. यें जो जिंदगी 7. आज यहाँ हर 8. फिर वही 9. अभी हममें 10. आँखों में सेहरा 11. जिंदगी मेरी 12. ना कोई आँख 13. काश! मैं भी 14. अपने चेहरे को 15. कश्ती मेरी 16. यूँ मेरा क़त्ल 17. नशा रूहानी 18. बहुत गुनाह 19. कोई बस्ती तो 20. कुछ ही लोग 21. कोई मुझको 22. क्यूँ मोहब्बत में कविताएं भुप्पी राजा के दोहे कोट्स Back