Posted inGhazal/Nazm अपने चेहरे को Posted by Bhuppi Raja March 3, 2002No Comments अपने चेहरे को अपने चेहरे को गर दिल का आईना बनाइए तो लोगों के पत्थरों से बचकर दिखाइए दर्द जितने भी हों दिल में मुस्कुराते रहिएगर रो पड़े तो बिखरने से बचकर दिखाइए किसी को बदलने की कोशिश ना कर नासमझ खुद की फितरत तो पहले बदल कर दिखाइए ज़ख्म जितने भी मिले तुमको छुपाए रखिएज़ख्मो की ना सरे-आम नुमाइश लगाइए दर्द की नुमाइश मे सुकूं मत तालाश कर दर्द को लम्हा-लम्हा पी कर दिखाइए *नासूर- ऐसा घाव जिसमें से बराबर मवाद निकलता हो, नाड़ी व्रण*नुमाइश- दिखावट, प्रदर्शन, प्रदर्शनीG058 Post navigation Previous Post कश्ती मेरी कितनाNext Postकाश मैं भी