Posted inGhazal/Nazm कश्ती मेरी कितना Posted by Bhuppi Raja February 3, 2002No Comments कश्ती मेरी कितना किश्ती मेरी और कितना मझधार में ले जाओगे मैंडूब गया तो तुम भी कहाँ बच पाओगे मैं कतरा ही सही मेरा कुछ वज़ूद तो हैमैं ना हूं तो समंदर को तरस जाओगे रात अभी बाकी हैं घूम लो आवारासुबह तो तुम लोट के घर अपने ही आओगे ढूँढोगे जब भी मुझे, दिल की नज़रों सेहर तरफ दिखूंगा, जिधर नज़र घुमाओगे मैं आज हूँ थाम लो मुझे बाहों में …गुज़र गया कल तो ढूढंते रह जाओगे जलेगा उम्मींद-ए-चिराग मेरे लहू सेहर लो में दिखूँगा, जो शमा जलाओगेG059 Post navigation Previous Post यूँ मेरा कत्लNext Postअपने चेहरे को