अभी हममें हिम्मत हमारी बाकी है
कसक बाकी है बेक़रारी बाकी है
उम्र दराज़ हम हो गए तो क्या हुआ
अभी जवां दिलों में चिंगारी बाकी है
जिंदगी की जंग अभी हम हारे नहीं
अभी भी गरम सांसे हमारी बाकी है
दो चार घूंट ज़िंदगी के पिए तो क्या
बोतल मे अब सारी कि सारी बाकी है
सब नतीजे जिंदगी तेरे निकले नहीं
अभी भी अपनी उम्मीदवारी बाकी है
मौसम फ़िज़ा का कभी तो बदलेगा
अभी भी पहाडों पे बर्फबारी बाकी है
बहकाने की कौशिश न कर ऐ ज़िंदगी
अभी भी हममें समझदारी बाकी है
हर बेरुख़ी का हिसाब तुझसे लेना है
अभी भी तेरी जवाबदारी बाकी है
क्यों धोख़े में आये हम तेरे बार-बार
अभी भी हममें होशयारी बाकी है
कब तक छूटेगा सुर कभी तो लगेगा
अभी भी हममें संगीतकारी बाकी हैं
हर शाही सफ़ा ज़िंदगी तुझे सुनाना है
अभी अपना राग दरबारी बाकी है
बहुत कर्ज जिंदगी तेरे चुकता किए
अभी भी थोड़ी देनदारी बाकी है
मुफलिसी में जिए मगर माँगा नहीं
अभी भी हमने खुद्दारी बाकी है
दर्द दिया तो तुने तू दवा भी देगी
अभी भी तेरी वफादारी बाकी है
हर बात तो मानी है तुने ऐ जिंदगी
अभी तेरी फरमा-गुज़ारी बाकी है
सांचे मे डाल सकता हूं तुझको आज भी
अभी भी हममें हस्तकारी बाकी है
हुक्म अपना अभी भी तुझपे चलता है
अभी भी ‘राजा’ सरदारी बाकी है
*पर्दानशी- ढंकना
*फौजदारी- मार-पीट हत्या आदि से संबंध रखनेवाला
*मुफ़लिसी- ग़रीबी निर्धनता
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