Posted inGhazal/Nazm काश मैं भी Posted by Bhuppi Raja April 3, 2002No Comments काश मैं भी काश! मैं भी ऐसा होता कह देता मन जैसा होता इतनी हिम्मत मुझमें होतीमैं भी तेरे जैसा होता मुख अपना भी उज्ज्वल होतागर मन शीशे जैसा होता पल-पल ये ना सोचा होताऐसा होता तो कैसा होता खुश रहते सब कोई ना रोता गर ना पैसा-पैसा होता जो भी होता उल्टा होताकुछ तो मेरे जैसा होता ये जग सारा मेरा होतागर ना ऐसा वैसा होता ऐसा-वैसा कुछ ना होताजैसा होना वैसा होता तु क्यों चिंता करे हैं ‘राजा’जो रब चाहे वैसा होता G053 Post navigation Previous Post अपने चेहरे कोNext Postना कोई आँख