Posted inKavita Social बेटी की पुकार क्यूँ हिला देते होमेरी अंतरात्मा को झिंझोड़करक्यूँ सजा देते होमेरे रिसते ज़ख्मो को निचोड़करक्यूँ प्रेरित करते होमुझे हर…
Posted inKavita Social आत्मसाक्षात्कार यह तो विदित हैकि मैं किशोरी नहींयुवा हूँ, वृद्धा हूँ या अधेड़ा!सलीब पर लटकी मेरी हर सुबहकचोट जाती…