Posted inDard Kavita इन्तज़ार क्यूँ इन्तज़ार करता है नासमझक्यूँ राह तकता है नासमझकिसी का बेकरारी सेयहाँ कोई नहीं आयेगातुझे श्रद्धा सुमन अर्पित…
Posted inDard Kavita मुझे अपना जिस्म मुझे अपना जिस्म बनालोअपने जिस्म का हर निशाँमेरे जिस्म पर बना दो मुझे अपना आईना बनाआँखों में बसालोगर बन…
Posted inDard Kavita नैना बरसत जाए नैना बरसत जाए हाएपिया घर न आए हाए... कल तक जो मेरा संगी थाआज दूर हो जाए हाए... इस सावन…