मुझे अपना जिस्म

मुझे अपना जिस्म

मुझे अपना जिस्म मुझे अपना जिस्म बनालोअपने जिस्म का हर निशाँमेरे जिस्म पर बना दो मुझे अपना आईना बनाआँखों…
इन्तज़ार

इन्तज़ार

इन्तज़ार क्यूँ इन्तज़ार करता है नासमझक्यूँ राह तकता है नासमझकिसी का बेकरारी सेयहाँ कोई नहीं आयेगातुझे श्रद्धा सुमन…
नैना बरसत जाए

नैना बरसत जाए

नैना बरसत जाए नैना बरसत जाए हाएपिया घर न आए हाए... कल तक जो मेरा संगी थाआज दूर हो…