चाँद से सूरज से

चाँद से सूरज से

चाँद से सूरज से जिससे भी यारी रखिए
बस इस दिल में थोड़ी जगह हमारी रखिए
 
जानते है हम कि गुल किन क़िताबों में हैं  
आप तो बस अपनी तफ़्तीश जारी रखिए
 
मुफ़लिसि में जेबें भी फट जाया करती है
आप इनमे कभी थोड़ी, तो रेज़गारी रखिए
 
समझा नहीं सकते तुम, हमें अपनी दलीलों से 
आप तों बस अपनी तफ्तीश जारी रखिए
 
आईने के सामने हम से ही करोगे बातें
इन सुरमई आँखों में तस्वीर हमारी रखिए 
  
बेखुदी में क्या मज़ा है जल्द जान जाओगे 
बस अपने दिल में थोड़ी बेकरारी रखिए 
 
खुशबु साँसों में होंगी महक फिज़ाओ में 
अपने दिल में इक फूलो कि क्यारी रखिए 
 
सब शिकवे भूला कर हम, तुम्हें गले लगा लेगे  
आप अपने घर पे भी, कभी इफ़तारी रखिए

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