कोई मुझको मेरी खता तो बता दो
फिर तुम मुझे जो भी चाहे सजा दो
शिकवा ना करेंगे तुमसे कभी हम
फिर चाहे तुम मेरी हस्ती मिटा दो
ख़ुदा माफ करे नादानियाँ तुम्हारी
चाहे किले ठोक मुझे सूली चढ़ा दो
प्यार में उसके मैं खुल कर नाचूगा
चाहे तुम मुझे प्याला जहर का पीला दो
मोहब्बत गुनाह हैं गर ये सोचते हो
मुझको दीवारों में जिन्दा चिनवा दो
ना छोड़ेगे कभी हम अपनी दीवानगी
चाहे तुम मुझे पत्थरो से मरवा दो
चीनाब तो हम पार करके ही रहेंगे
चाहे तुम मुझे कच्चा घड़ा ही ला दो
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