भुप्पी राजा दोहे भाग-२

भुप्पी राजा दोहे भाग-२

 

अंदर तेरे राम है, तुझको नजर ना आए

मन की गांठे खोल दे, जीवन मुक्त हो जाए…

 

 

बाहर अंदर एक है, जान सके तो जान

कण-कण मे जब रब दिखे, होए बौद्ध ज्ञान…

 

 

मैं मैं करता जग मुआ, मैं न जाणयो कोए

जब मैं मैं जानत भयो, जगत तमाशा होए…

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