Posted inImage Shayari Philosophy ज़िन्दगी ज़िन्दगी तू क्यूँ रेत बन गयीमैं जब-जब तुझे अपनी मुठ्ठी में भरकर मनचाहा आकार देना चाहता हूंतू रीत जाती है क्या…