प्रकाश उत्सव

दुनियां खेल तमाशा हैं चारो तरफ निराशा हैंनानक दुःखिया सब संसार इक़ तेरा नाम ही आशा हैं..

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी तू क्यूँ रेत बन गयीमैं जब-जब तुझे अपनी मुठ्ठी में भरकर मनचाहा आकार देना चाहता हूंतू रीत जाती है क्या…