प्रकाश उत्सव

दुनियां खेल तमाशा हैं चारो तरफ निराशा हैंनानक दुःखिया सब संसार इक़ तेरा नाम ही आशा हैं..
ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी तू क्यूँ रेत बन गयीमैं जब-जब तुझेअपनी मुट्ठी में भरकरमनचाहा आकार देना चाहता हूँतू रीत जाती है क्या…
बेटी की पुकार

बेटी की पुकार

क्यूँ हिला देते होमेरी अंतरात्मा को झिंझोड़करक्यूँ सजा देते होमेरे रिसते ज़ख्मो को निचोड़करक्यूँ प्रेरित करते होमुझे हर…
आत्मसाक्षात्कार, kavita in hindi, Bhuppi Raja, Poetry, poet.

आत्मसाक्षात्कार

यह तो विदित हैकि मैं किशोरी नहींयुवा हूँ, वृद्धा हूँ या अधेड़ा!सलीब पर लटकी मेरी हर सुबहकचोट जाती…
मर्द

मर्द

क्या तुमने कभी देखा हैकिसी मर्द का चेहराआँसुओं में डूबा हुआ नहीं देखा ना!अरे वो मर्द ही क्याजिसका चेहराआँसुओं…
नेकी

नेकी

कहते हैं तुम्हारी नेकीकिसी न किसी दिनकिसी न किसी रूप मेंतुम तक जरूर वापस आती है मुझे अपनी नेकियों…
कितना मुश्किल

कितना मुश्किल

अंदर और बाहर केप्रदूषण और शोर मेंकाला धुँआ फेंकतेविचारों के पीछे छिपेस्याह चेहरों में सेअपना वर्तमान चेहरा ढूंढ…
नया जिस्म

नया जिस्म

दूर तक जातीवीरान सूखी नदीजानवरों केअधखाए कंकालपक्षियों के मांस नोचते जमघटगुर्राते और मिमियातेकुत्तों के बीचमैं स्वयं कोपल-पल बदलतेस्वांग…
आसमानी परिंदे

आसमानी परिंदे

अभी तुम्हारी जिन्दगी में साज़ नहींअभी तुम्हारे गले में आवाज नहींहम तुम्हें कहीं ना नज़र आएंगेहम तुम्हें कभी…