Posted inImage Shayari दोहे जो कल था अब है नहीं जो कल था अब है नहीं, जो अब है कल नाहींसब जग नश्वर भयो, चिंता करे तू काही…
Posted inImage Shayari दोहे चंचल मन बालक भयो चंचल मन बालक भयो, बहुतो नाच नचाएजब मन समता भही, अटल ध्रुव हो जाए…
Posted inImage Shayari दोहे तिनका तिनका जोड़ के तिनका तिनका जोड़ के गठरिया कई बनाईसभी छोड़ के चल दिये, जीवन व्यर्थ गवाई…
Posted inImage Shayari दोहे कर्म कांड बहुतो किये कर्म कांड बहुतो किये, कोइनो काम ना आएमन की गांठे खोल दे, धर्म मार्ग मिल जाए…
Posted inImage Shayari दोहे मैं मैं करता जग मुआ मैं मैं करता जग मुआ, मैं ना जाणयो कोएजब मैं जानत भयो, जगत तमाशा होए…
Posted inImage Shayari दोहे बाहर अंदर एक है बाहर अंदर एक है, जान सके तो जानकण-कण मे जब रब दिखे, होए बौद्ध ज्ञान…
Posted inImage Shayari दोहे अंदर तेरे राम है अंदर तेरे राम है, तुझको नजर ना आएमन की गांठे खोल दे, जग रोशन हो जाए…
Posted inImage Shayari दोहे राग-द्वेष भय एक है राग-द्वेष भय एक है, सब जग लेयो फसाएसमता मन कीजिये, जीवन सरल हो जाए…
Posted inImage Shayari दोहे दया धर्म का मूल है-2 दया धर्म का मूल है, करुणा दियो जगाए,जिस मन करुणा भही, धर्मवान बन जाए…
Posted inImage Shayari दोहे दया धर्म का मूल है-1 दया धर्म का मूल है, करुणा दियो जगाए,जिस मन करुणा नहीं, निरा ठूठ रह जाए…
Posted inImage Shayari Religious प्रकाश उत्सव दुनियां खेल तमाशा हैं चारो तरफ निराशा हैंनानक दुःखिया सब संसार इक़ तेरा नाम ही आशा हैं..
Posted inKavita ज़िन्दगी ज़िन्दगी तू क्यूँ रेत बन गयीमैं जब-जब तुझेअपनी मुट्ठी में भरकरमनचाहा आकार देना चाहता हूँतू रीत जाती है क्या…
Posted inKavita Social बेटी की पुकार क्यूँ हिला देते होमेरी अंतरात्मा को झिंझोड़करक्यूँ सजा देते होमेरे रिसते ज़ख्मो को निचोड़करक्यूँ प्रेरित करते होमुझे हर…
Posted inKavita Social आत्मसाक्षात्कार यह तो विदित हैकि मैं किशोरी नहींयुवा हूँ, वृद्धा हूँ या अधेड़ा!सलीब पर लटकी मेरी हर सुबहकचोट जाती…
Posted inKavita Philosophy (Aadhi Haqeeqat) मर्द क्या तुमने कभी देखा हैकिसी मर्द का चेहराआँसुओं में डूबा हुआ नहीं देखा ना!अरे वो मर्द ही क्याजिसका चेहराआँसुओं…
Posted inKavita Philosophy (Aadhi Haqeeqat) नेकी कहते हैं तुम्हारी नेकीकिसी न किसी दिनकिसी न किसी रूप मेंतुम तक जरूर वापस आती है मुझे अपनी नेकियों…
Posted inKavita Philosophy (Aadhi Haqeeqat) कितना मुश्किल अंदर और बाहर केप्रदूषण और शोर मेंकाला धुँआ फेंकतेविचारों के पीछे छिपेस्याह चेहरों में सेअपना वर्तमान चेहरा ढूंढ…
Posted inKavita Philosophy (Aadhi Haqeeqat) शब्दों का जिस्म सिर्फ शब्द नहीं होती सोचसिर्फ जिस्म नहीं होती सोचउसमें एक जान भी होती हैजो रूह से धड़कती है मेरे…
Posted inKavita Philosophy (Aadhi Haqeeqat) नया जिस्म दूर तक जातीवीरान सूखी नदीजानवरों केअधखाए कंकालपक्षियों के मांस नोचते जमघटगुर्राते और मिमियातेकुत्तों के बीचमैं स्वयं कोपल-पल बदलतेस्वांग…
Posted inKavita Philosophy (Aadhi Haqeeqat) आसमानी परिंदे अभी तुम्हारी जिन्दगी में साज़ नहींअभी तुम्हारे गले में आवाज नहींहम तुम्हें कहीं ना नज़र आएंगेहम तुम्हें कभी…