Posted inKavita समय समय समय-समय की बात हैमानुष के क्या हाथ है पल में राज दिलाती हैपल में रंक बनाती है इक पल…
Posted inKavita इस भरी दुनिया में इस भरी दुनिया में इस भरी दुनिया में तू किधर जाएगाहोगा ख़ुदा से दूर तो बिखर जाएगा, ख़ुदा सामने…
Posted inKavita तू मेरे संग है तू मेरे संग है तू मेरे संग है तो मुझे क्या गम हैमुश्किलें जितनी भी मिले सब कम है हर…
Posted inKavita हर त्यौहार को अब हर त्यौहार को अब हर त्यौहार को अब कुछ यूं मनाया जाएकिसी गरीब के घर का चूल्हा जलाया…
Posted inKavita वक़्त हर वक़्त का वक़्त हर वक़्त का वक़्त हर वक़्त का हिसाब माँगता हैतुम्हारे हर कर्म का जवाब माँगता है कितनी भी उल्फ़त…
Posted inKavita जिसकी राहों में कांटे हो जिसकी राहों में कांटे हो जिसकी राहों में कांटे होऔर राही भी अंधा होटूटी सांसो से कब तक…
Posted inKavita नैना बरसत जाए नैना बरसत जाए नैना बरसत जाए हाएपिया घर न आए हाए... कल तक जो मेरा संगी थाआज दूर हो…
Posted inKavita इन्तज़ार इन्तज़ार क्यूँ इन्तज़ार करता है नासमझक्यूँ राह तकता है नासमझकिसी का बेकरारी सेयहाँ कोई नहीं आयेगातुझे श्रद्धा सुमन…
Posted inKavita कितना अकेला कितना अकेला कितना अकेला होता हूंजब तुम्हारे साथ होता हूं,कितने आंसू पीता हूंजब मुस्कुराहटे बिखेरता हूं, गुनहगार कहलाता हूंजब…
Posted inKavita शम्मा के साथ शम्मा के साथ शम्मा के साथजब किसीबेबस की आँख सेआँसू टपकते हैं, तब हम लोग उसेकैनवास में उतार करमोनालिसा…
Posted inKavita होश आया तो होश आया तो होश आया तोबेहोश हो चुका थालहू का आखिरी कतरा भीटपक चुका थाउन्हें देखकरजीने की ललक…
Posted inKavita मैं जब-जब जला मैं जब-जब जला मैं जब-जब जलाबाती संग जला,जब खत्म हुआ तेलबुझना ही पड़ा,क्या मेरा जीवन यूं हीअकारथ गयानहीं…
Posted inKavita मृगतृष्णा मृगतृष्णा मृगतृष्णा कब तक भटकेगीकब तक उसका लहू टपकेगाकब तक उसकी सांस चलेगीकितना दौड़ पाएगी वोरिसते जख्मों के…
Posted inKavita बेटी की पुकार बेटी की पुकार क्यूँ हिला देते होमेरी अंतरात्मा को झिंझोड़करक्यूँ सजा देते होमेरे रिसते ज़ख्मो को निचोड़करक्यूँ प्रेरित…
Posted inKavita तू मुझ में नहीं तू मुझ में नहीं तू मुझ में नहीं तो किसमें हैतेरा रहमो-करमतो हर शख्स पे हैमैं भी तेरे…
Posted inKavita बड़ी मुश्किल से बड़ी मुश्किल से बड़ी मुश्किल सेचलना सीखा हैकदम दो कदममुझे कदम-कदमसहारा देकरअपाहिज न बना दो गिरूंगा, उठूंगा,दौडूंगा भी एक…
Posted inKavita तृष्णा तृष्णा अपनी तृष्णाओं की तृप्ति के लिएप्रायः जिस मार्ग काहम अनुसरण करते हैंवो मार्ग सुरसा के मुख की…
Posted inKavita सत्य सत्य सत्य और असत्यदो विलोम शब्दजिनका द्वंद सदियों से है सुना था, पढ़ा थासुनता भी हूँ, पढ़ता भी हूँसत्य…
Posted inKavita प्रतिबिम्ब प्रतिबिम्ब जब कभी भीतुम्हारी आँखों मेंमैं अपना प्रतिबिम्ब देखता हूँपहचानने की कोशिश करता हूँक्या ये मेरा ही है लेकिन…
Posted inKavita चाँद चाँद परछाइयों के पीछे भागने सेचाँद तो बाहों में नहींपाया जा सकता!उसके लिएचाँद की ओर मुंह करकेदोनों हाथ…
Posted inKavita नया रिश्ता नया रिश्ता मेरा चेहरा प्यार सेभर दिया आपनेरोम-रोम में मीठा चुम्बनजड़ दिया आपनेइस नये रिश्ते कोक्या नाम दूँ मैंहर पुराना…
Posted inKavita अमर मंथन अमर मंथन जब तुमने मुझेखो देने के डर सेअपनी बाहों में जकड़ लिया थातब मैंने स्वयं कोबूंद बूंद…
Posted inKavita घर की दीवारें घर की दीवारें जब घर की दीवारों मेंजंगल उग जाते हैंतब वो घर, घर नहीं रहतेखंडहर कहलाते हैंचाहे…
Posted inKavita आसमानी परिंदे आसमानी परिंदे अभी तुम्हारी जिन्दगी में साज़ नहींअभी तुम्हारे गले में आवाज नहींहम तुम्हें कहीं ना नज़र आएंगेहम…
Posted inKavita नया जिस्म नया जिस्म दूर तक जातीवीरान सूखी नदीजानवरों केअधखाए कंकालपक्षियों के मांस नोचते जमघटगुर्राते और मिमियातेकुत्तों के बीचमैं स्वयं…
Posted inKavita शब्दों का जिस्म शब्दों का जिस्म सिर्फ शब्द नहीं होती सोचसिर्फ जिस्म नहीं होती सोचउसमें एक जान भी होती हैजो रूह…
Posted inKavita कितना मुश्किल कितना मुश्किल अंदर और बाहर केप्रदूषण और शोर मेंकाला धुँआ फेंकतेविचारों के पीछे छिपेस्याह चेहरों में सेअपना वर्तमान…
Posted inKavita नेकी नेकी कहते हैं तुम्हारी नेकीकिसी न किसी दिनकिसी न किसी रूप मेंतुम तक जरूर वापस आती है मुझे अपनी…
Posted inKavita मर्द मर्द क्या तुमने कभी देखा हैकिसी मर्द का चेहराआँसुओं में डूबा हुआ नहीं देखा ना!अरे वो मर्द ही क्याजिसका…
Posted inKavita ज़िन्दगी ज़िन्दगी ज़िन्दगी तू क्यूँ रेत बन गयीमैं जब-जब तुझेअपनी मुट्ठी में भरकरमनचाहा आकार देना चाहता हूँतू रीत जाती…
Posted inKavita मुझे अपना जिस्म मुझे अपना जिस्म मुझे अपना जिस्म बनालोअपने जिस्म का हर निशाँमेरे जिस्म पर बना दो मुझे अपना आईना बनाआँखों…
Posted inKavita आत्मसाक्षात्कार आत्मसाक्षात्कार यह तो विदित हैकि मैं किशोरी नहींयुवा हूँ, वृद्धा हूँ या अधेड़ा!सलीब पर लटकी मेरी हर सुबहकचोट…
Posted inKavita मोक्ष मोक्ष एक वह भी जमाना थाजब हम चाँद सितारों के पासअक्सर घूमते-घूमतेनिकल जाया करते थेकभी अपने जिस्म कोसाथ…
Posted inKavita उगता प्यार उगता प्यार मेरे प्यार नेमेरे प्यार केमिलने से पहलेकुछ प्यारे सपने संजोए थेकुछ प्यारी इच्छाएंअपने दिल में छुपा…
Posted inKavita थका नहीं हूँ मैं (भाग-2) थका नहीं हूँ मैं (भाग-2) थका नहीं हूँ मैं आज भीउम्र पकने के बाद भीदुनियादारी से, लाचारी से,…
Posted inKavita थका नहीं हूँ मैं (भाग-1) थका नहीं हूँ मैं (भाग-1) थका नहीं हूँ मैं आज भीउम्र पकने के बाद भीदुनियादारी से, लाचारी से, बीमारी…
Posted inKavita रिश्ता और विश्वास रिश्ता और विश्वास क्यों फैलाया रिश्तों का यहझूठा आडंबर तुमनेअपने इर्द-गिर्दजब तुम हर रिश्ते कोखोखला समझते होहर रिश्ते…
Posted inKavita मुझे अमृत्व दो मुझे अमृत्व दो ऐसा मेरे साथ ही क्यूँ होता हैकि जब भी मैं मरना सीख जाता हूँतो कोई…
Posted inKavita मिलन मिलन हर ख्वाब हकीकत नहीं होताहर हकीकत ख्वाब नहीं होतीजिन्दगी में कुछ ऐसे लम्हे आते हैंजब कुछ ख्वाब…
Posted inKavita मेरी चाहत मेरी चाहत मेरी सदियों पुरानी अधूरी चाहतेंजिसे मैंने हमेशाउसके अधूरे पन के साथ ही जियान जाने क्यों पूरा…