तुम जैसा कोई जहाँ में दिलबर न होगा
हम जैसा भी कोई दिलावर न होगा
नामावर तो तुमको मिल जाएँगे हज़ारों
मगर हमसा कोई और करमगर न होगा
हम तो मिट जाएँगे तेरी बेवफ़ाई के ग़म में
तुझे तो ये बहाना भी मयस्सर न होगा
तोड़कर हर उम्मीद मेरी जा रहे हो तुम
दुश्मन भी तुमसा कोई सितमगर न होगा
मेरी रहगुज़र से गुज़रे तो याद करोगे
हमसा कोई तेरा हमसफ़र न होगा
याद आएँगे हम उस दिन तुमको बहुत
जब तुम्हारे पास कोई रहबर न होगा
खुद क़त्ल करके खुद ही फ़ैसला सुना दे
मुन्सिफ़ भी तुमसा कोई मुक़र्रर न होगा
यूँ ही चल दिए तुम हमसे मुँह मोड़के
‘राजा’, इतना भी कोई बेक़दर न होगा
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