Posted inGhazal/Nazm तू मेरा हो नहीं सकता Posted by Bhuppi Raja January 31, 2001No Comments तू मेरा हो नहीं सकता तू मेरा हो नहीं सकता, जानता हूँ मगरफिर भी दिल लगाने को जी चाहता है। हर हसरत नेस्तनाबूद हो जाएगी मगर,हसरतें और जगाने को जी चाहता है। आतिश-ए-इश्क़ है ये, जला के ख़ाक कर देगा,इस आग में जल जाने को जी चाहता है। चले जाओगे तुम तन्हा छोड़ कर हमें,कुछ पल साथ बिताने को जी चाहता है। तू परछाई है मेरी, छू भी नहीं सकता,फिर भी हाथ बढ़ाने को जी चाहता है। हर चाहत पे जो रहमत की बारिश कर दे,ऐसा ख़ुदा मनाने को जी चाहता है। खुशफ़हमियाँ टूट भी जाएँगी इक दिन मगर,‘राजा’ फिर मुस्कुराने को जी चाहता है।G063 Post navigation Previous Post कुछ ख़्वाब अधूरेNext Postदूर से पूछोगे हाल