तू मेरा हो नहीं सकता

तू मेरा हो नहीं सकता जानता हूँ मगर

दिल फिर भी लगाने को जी चाहता है

 

नीस्त-ओ-नाबूद हो जायेगी हर हसरत मगर

और हसरतें जगाने को जी चाहता है

 

तू तस्सवुर है तुझे छू भी नहीं सकता

फिर भी हाथ बढ़ाने को जी चाहता है

 

तुम चले जाओगे तन्हा छोड़ कर यूँ मुझे

चंद लम्हे साथ बिताने को जी चाहता है

 

कुछ ही पलों में तू भूल जायेगा हमे

फिर तुझे यादों में बसाने को जी चाहता है

 

हर चाहत पे जो रहमत की बारिश कर दे

ऐसा खुदा मनाने को जी चाहता है

 

कुछ पलों की खुशफहमियां टूट जायेगी मगर

आज फिर मुस्कराहने को जी चाहता है

G063

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