Posted inGhazal/Nazm कुछ ख़्वाब अधूरे Posted by Bhuppi Raja January 30, 2001No Comments कुछ ख़्वाब अधूरे कुछ ख़्वाब अधूरे है पूरे कर दो नाकुछ ज़ख़्म गहरे है मरहम कर दो ना बहारे रूठ गयी, वीरानी का आलम हैबादल बन चाहत की बारीश कर दो ना अंधेरे हैं हर तरफ सितारे उदास हैंचांदनी बन दिलों को रौशन कर दो ना उदास उतरे चेहरे बे-सहारा भटक रहेदर अपना देकर उनको इक घर दो ना जिंदगी सफ़र का अब तन्हा नहीं करताइन जुल्फ़ो की छाँव में छोटा सा घर दो ना वीरान सूनी आँखों और ना उम्मीदें हैंमीठे प्यारे सपने इन में भर दो ना सुलग रहे हैं अरमा कब से याद नहींअपने नाजुक होठ इन पे रख दो ना जिन चेहरो पे तुमको नफरत नज़र आएउन चेहरों को ‘राजा’ प्यार से भर दो नाG060 Post navigation Previous Post आज बस इतनी इनायतNext Postतू मेरा हो नहीं सकता