कुछ ही लोग होते हैं दिल के नवाब
बाक़ी ऱखते हैं दुनियावी हिसाब
दोस्ती में जो ख़ुदा को भी भुला दे
वो ही दोस्ती के क़ाबिल होता जनाब
चुप रहते हैं हम जहाँ दोस्ती न हो
ग़ैर को कभी देते नहीं कोई जवाब
दोस्तों के दरमियाँ पर्दा कभी नहीं
चेहरे पे नहीं होता कहीं कोई नक़ाब
रूठने-मनाने की दरकार नहीं यहाँ
दोस्ती में यक़ीन होता है बेहिसाब
दोस्ती कभी ओहदों की मोहताज नहीं
इसमें न कोई रंक है न क़ोई नवाब
जिससे बात करने को सोचना न पड़े
ऐसे दोस्त को दिल से है मेरा आदाब
कहता है दोस्त जिसे ‘राजा’ एक बार
उसके आगे फीका है जहाँ का हर शबाब
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