Posted inGhazal/Nazm कश्ती मेरी और कितना Posted by Bhuppi Raja February 19, 2001No Comments कश्ती मेरी और कितना किश्ती मेरी और कितना मझधार में ले जाओगेडूब गया गर मैं तो तुम भी डूब जाओगे मैं कतरा ही सही मेरा भी वज़ूद हैमैं ना हूं तो समंदर को तरस जाओगे रात अभी बाकी हैं घूम लो आवारासुबह तो तुम लौट के घर ही आओगे ढूँढोगे जब भी मुझे दिल की नज़रो सेहर तरफ दिखूँगा जिधर नज़र घुमाओगे मैं आज हूँ थाम लो मुझे बाहों मेंगुज़र गया कल तो ढूँढते रह जाओगे जलेगा उम्मीद-ए-चिराग मेरे लहू सेहर लौ में दिखूँगा जो शमा जलाओगेG059 Post navigation Previous Post अपने चेहरे कोNext Postयूँ मेरा क़त्ल