Posted inGhazal/Nazm बहुत गुनाह किए हमने Posted by Bhuppi Raja February 22, 2001No Comments बहुत गुनाह किए हमने बहुत गुनाह किए हमनेबहुत अफ़साने जिए हमने ज़िंदगी यूँ ही कटी अपनीबहुत आँसू पिए हमने बेशुमार क़ीमत चुकायी हैदर्द गहरे लिए हमने कौन किसका साथी हैज़ख़्म ख़ुद ही सिए हमने किसने दिया कितना दर्दकहाँ हिसाब किए हमने कुछ क़र्ज़ चुकाने के लिएसपने सब बेच दिए हमने तुम ही क़ातिल, तुम्ही मुनसिफ़फ़ैसले सब सर लिए हमने अधूरे ख़्वाब कहाँ पूरे हुएसूली सब भेंट किए हमने मन-मंथन के ज़हर केघड़े सभी पी लिए हमने कुछ रिश्ते बचाने के लिएगुनाह सब सर लिए हमने आख़िरी क़दम साथ दे दोतन्हा सफ़र ही किए हमनेG010 Post navigation Previous Post नशा रूहानीNext Postकोई बस्ती तो होगी