Posted inGhazal/Nazm अश्क बहते हैं Posted by Bhuppi Raja March 4, 2001No Comments अश्क बहते हैं अश्क बहते हैं सारी रात कि तुम आ जाओआँसुओं की है बरसात कि तुम आ जाओ तेरे ख़्यालों की स्याही से लिखूं खत तुझकोकितना तुझको मैं करूं याद कि तुम आ जाओ ये शाम की तन्हाई मेरा दम ले लेगीकितना दीवारों से करूं बात कि तुम आ जाओ गूंजने लगी है कानों में मेरे शहनाईयाँचली अरमानो की है बारात कि तुम आ जाओ गुलों पे किसके हैं ये अश्क़ यूं ही बिखरे हुएचाँद भी रोया है मेरे साथ की तुम आ जाओ कब होगा दीदारे-यार मयस्सर मुझकोअब नहीं क़ाबू में जज़्बात कि तुम आ जाओ इक उम्र का फासला है दरमियाँ हमारेमोला दिखा कोई करामात कि तुम आ जाओ आखिरी हिचक ‘राजा’ आ ही न जाएबिगड़ते जाते है हालात कि तुम आ जाओG064 Post navigation Previous Post मिला ना प्यारNext Postतन्हा-तन्हा सा