Posted inGhazal/Nazm अपने चेहरे को Posted by Bhuppi Raja February 18, 2001No Comments अपने चेहरे को अपने चेहरे को गर दिल का आईना बनाइएलोगों के पत्थरों से बचकर दिखाइए दर्द जितने भी हों दिल में मुस्कुराते रहिएगर रो पड़े तो ज़रा सँभलकर दिखाइए किसी को बदलने की कोशिश ना कर ऐ दोस्तपहले अपनी फ़ितरत तो बदल कर दिखाइए ज़ख्म जितने भी मिले बस छुपाए रखिएज़ख्मो की सरे-आम ना नुमाइश लगाइए दर्द की नुमाइश मे सुकूं मत ढूंढदर्द को हर लम्हा ‘राजा’ पी कर दिखाइएG058 Post navigation Previous Post काश! मैं भीNext Postकश्ती मेरी और कितना