Posted inGhazal/Nazm आज फिर हमसे Posted by Bhuppi Raja January 10, 2001No Comments आज फिर हमसे आज फिर हमसे परदादारी हैइतना ज़ुल्म क़्या ख़ता हमारी है चाँद कब बादलों से निकलेगाइन्तज़ार-ए-इन्तहाँ, बेकरारी है कुछ यादें दबी हैं दिल में हमारेयादों से अब तलक गहरी यारी है दूरियाँ कितनी भी हों दरमियाँवो ज़िन्दगी आज भी हमारी है मदहोशियाँ फ़िज़ा में छायी हैंनिगाहें उनकी आज आबकारी है छायी हैं हर तरफ़ काली घटाएँआज फिर उनकी ज़ुल्फ़कारी है आज वो हमको गले लगा लेंगेआज उनके यहाँ इफ़्तारी है महफ़िल में कब परदा उठेगाइक-इक लम्हा ‘राजा’ पे भारी हैG022 Post navigation Previous Post हर चमन मेंNext Postमुहब्बत में जब