Posted inGhazal/Nazm मेरी हसरतो को Posted by Bhuppi Raja March 11, 2001No Comments मेरी हसरतो को मेरी हसरतो को और कितना तरसाओगेकभी तो तुम मेरी उल्फ़त को समझ पाओगे कश्ती मेरी मझधार में ले जा रहे होडूब गया मैं तो तुम भी कहाँ बच पाओगे मैं कतरा ही सही मेरा कुछ वजूद तो हैमैं न रहूँ तो तुम समंदर कहाँ से पाओगे मैं वक़्त हूँ, थाम लो मुझे बाँहों मेंगुज़र गया ये पल तो बस पछताओगे आवाज़ दोगे जब भी मुझे दिल के झरोकों सेहर तरफ दिखूँगा जिधर नज़र घुमाओगे अभी तो रात बाक़ी है फिरो तुम आवारासुबह तो तुम लौट के घर ही आओगे जलेगा उम्मीद-ए-चराग़ मेरे बुझने तकहर लौ में दिखूँगा, जो शमा जलाओगे भूले से भी कोशिश करोगे ‘राजा’ को भूलने किउतना ही याद आऊँगा जितना मुझसे दूर जाओगेG074 Post navigation Previous Post तन्हा दिल तन्हा सफरNext Postबहुत चोट खाये