अपने चेहरे को

अपने चेहरे को गर दिल का आईना बनाइए

तो लोगों के पत्थरों से बचकर दिखाइए

 

दर्द कितने भी हों नासाज़ बस मुस्कुराते रहिए

गर रो पड़े तो बिखरने से बच कर दिखाइए

 

ज़ख्म कितने भी मिले खुद सिला कीजिए

इन्हें खुला छोड़कर नासूर ना बनाइये

 

दर्द दिल के अपने सब छुपाये रखिये

इनकी खुलेआम नुमाइश ना लगाइए

 

दर्द की नुमाइश में सुकूं मत तलाश कर

दर्द को लम्हा-लम्हा पी कर दिखाइए

 

*नासूर- ऐसा घाव जिसमें से बराबर मवाद निकलता हो, नाड़ी व्रण।

*नुमाइश- दिखावट, प्रदर्शन। प्रदर्शनी।

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