मोहब्बत किजिए या अदावत किजिए
कुछ तो किजिए चाहे खज़ावत किजिए
समझेंगे तुझको भी हम दोस्त अपना
कभी हमसे भी तो शिकायत किजिए
अपने लहू को हम स्याही बनालेगे
कभी सामने आकर बगावत किजिए
हम भी शेखावत से क्या कम नहीं
कभी हमारी भी तो वज़ाहत किजिए
समझेगे हम खुद को अली-वली
कभी नज़रे इधर भी इनायत किजिए
*इख़्तिलात- मेलजोल, मैत्री-दोस्ती।
*अदावत- शत्रुता।
*खज़ावत- शर्मनाक
*शेखावत- उदारता / माफी
*वज़ाहत- आदर
*वली- मालिक, संरक्षक रक्षक
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