Posted inGhazal/Nazm जिंदगी मेरी रब की Posted by Bhuppi Raja February 15, 2001No Comments जिंदगी मेरी रब की जिंदगी मेरी रब की इनायत हो गयीउल्फत मेरी उनकी इबादत हो गयी देखते हि आँचल लपेटना उंगलियों पेये अदा भी उनकी कयामत हो गयी मर मिटे हम उनकी इन अदाओं पेप्यार दिल की शोख़ हसरत हो गयी क्या खता हमसे हुई की उनके हो गएहर खता मदहोश उल्फत हो गयी तरसे हो बून्द उल्फत मिल जाये दरियाया रब कैसी तेरी ये कवायत हो गयी दास्तां सुनते ही मेरी वो रो दियेखुश रहूँ मैं उनकी हिदायत हो गयी क्या सुनायें किस्से हम दीवानगी केहर तरफ दिल की सियासत हो गयी चाँद बन ज़िन्दगी मेरी वो रोशन किएचाँदनी दिल की रिवायत हो गयीG050 Post navigation Previous Post आँखों में सेहराNext Postना कोई आँख