उसने रखा है

उसने रखा जाम है फूलों पे

आज गुजरेगी शाम फूलों पे

 

ये खुशबू कहां से आयी है

उसने भेजा पयाम फूलों पे

 

क्यू मैं मदहोश हुआ जाता हूँ

उनका छलका है जाम फूलों पे

 

जिसका था इंतज़ार सदियों से

उनका आया सलाम फूलों पे

 

कौन गाता है गुलशने-दिल में

मस्त भँवरो की शाम फूलों पे

 

जबसे उनका बुलावा आया है

नाचेंगे इश्क-फ़ाम फूलों पे

 

इसलिये मुसकुरा रहा हूँ मैं

है वफ़ा-की-मुशाम फूलों पे

 

टूट जायेगी आज शर्म-ए-हया

होगी उल्फ़त तमाम फूलों पे

 

मस्त आँखों में डूबकर उनकी

होगी मदहोश शाम फूलों पे

 

क्यूँ हमसे दूर है वो अब तलक

हो ना पीना हराम फूलों पे

 

जब बुलाया है रोक भी लेना

करेंगे ऐहतराम फूलों पे

 

ज़िंदगी उनके साथ ही गुज़रेगी

‘राजा’ आखिर मुकाम फूलों पे

 

*पयाम- संदेश संदेसा।

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