उसको मेरा दर्द अब समझ आया होगा
जब किसी दोस्त ने दिल उसका दुखाया होगा
महफ़िल में मिला होगा वो सब से मुस्कुराकर
और तन्हा ये दरिया आँसुओं का बहाया होगा
हाथों की लकीरों में मेरा नाम न देखकर
अपने नाजुक हाथों को उसने जलाया होगा
दिल उसका पत्थर का तो हो नहीं सकता
या रब ने उसको ऐसा ही बनाया होगा
अपनी सूरत को पहचान न पाया होगा
जब वक़्त ने उसको आईना दिखाया होगा
वक्त तो ये कब किसका बदल जाए कौन जाने
वक्त ने सबक ये उसको भी पढ़ाया होगा
जब कभी मेरा महफ़िल में जिक्र आया होगा
सीने में उठा दर्द बामुश्किल दबाया होगा
कभी तो करेगा मुझे अपने दर्द में शामिल वो
जिस दर्द को उसने दुनिया से छुपाया होगा
G067
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