तू सुकून है

तू सुकून है

तू सुकून है तो ये शरर क्यों है

गर तू नहीं साथ तो ये सफ़र क्यों है

 

जिसे देख कर कयामत आ जाये

मेरा यार इतना ग़दर क्यों है

 

कुछ तो टूटा है जो चुप बैठे हो

टूटा नहीं दिल तो चश्मे-तर क्यों है

 

क्यूँ पीता है दर्द मेरा चुप रहकर

मेरी हर आँह तेरी नज़र क्यों है

 

मेरे लिए तूने दर-दर दुआएं मांगी

तुझको मेरी इतनी फिकर क्यों है

 

गर चाहता है मुझको तो खुल के बता

तेरी चाहत में ये गर-मगर क्यों है

 

इश्क़ कामिल होना अभी बाक़ी है

कामिल है तो अपनी ख़बर क्यों है

 

मेरी तकदीर में गर तू है नहीं तो

तू किसी और का मुकद्दर क्यों है

 

जानता हूँ कि तू मेरा ख़ुदा है

‘राजा’ भटकता दर-बदर क्यों है

 

*शरर- चिंगारी…

*कामिल- मुक़म्मल

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