Posted inGhazal/Nazm तेरे क़दमों में Posted by Bhuppi Raja January 7, 2001No Comments तेरे क़दमों में तेरे क़दमों में मेरा सर होगाकहाँ ऐसा मेरा मुक़द्दर होगा तू तसव्वुर है मेरे ख़यालों काक्या तेरा साथ कभी मयस्सर होगा भटकता हूँ रात भर यूँ ही आवाराकभी ज़ुल्फ़-ए-साये में घर होगा तेरे साथ चलता हूँ, एहसास गुम हैकब मुझपे ख़ुदा मेरा मेहराँ होगा मुन्तज़िर हूँ दीदार-ए-यार मुद्दतों सेकब रूबरू मुझसे मेरा रहबर होगा हाशियों में सिमट के ज़िन्दगी नहीं कटतीकभी खुला आसमाँ ज़मीं पर होगा तरसा हूँ बून्द-बून्द तेरी उल्फ़त मेंकभी इन बाहों में समुन्दर होगाG019 Post navigation Previous Post हमने इक शामNext Postचाँद से सूरज से