Posted inGhazal/Nazm कुछ गम नहीं Posted by Bhuppi Raja January 5, 2001No Comments कुछ गम नहीं कुछ गम नहीं जो मौत गले लगा लेगर इक घड़ी भी तू मूझे अपना बना ले जल सकता हूं जिंदा भी चिता पेगर तू मेरी राख मांग में सजा ले दफ़्न भी हो जाऊं उफ़ तक न निकलेगीगर तू मेरी कब्र आंगन में बना ले रात भर दीये की लौ पे तप सकता हूँगर तू काजल बना आंखों में बसा ले दोनों जहाँ की बदनसीबी अपने नाम लिख लूगर तू मोर पंख बन मुझे लेंखनी बना ले ‘राजा’ से रंक बनने में भी रंज नहीगर ये रंक तुझको भिक्षा में पा लेG017 Post navigation Previous Post ना ज़फा में तड़पेNext Postहमने इक शाम