Posted inGhazal/Nazm कोई मुझको मेरी ख़ता Posted by Bhuppi Raja February 25, 2001No Comments कोई मुझको मेरी ख़ता कोई मुझको मेरी ख़ता तो बता दोफिर तुम मुझे जो भी चाहो सज़ा दो हर इलज़ाम तुम्हारा सर आँखों पे लेंगेचाहे तुम मुझे ज़ंजीरों से बंधवा दो शिकवा न करेंगे कभी तुझसे हमचाहे तुम मेरी हस्ती ही मिटा दो ख़ुदा माफ़ करे नादानियाँ तुम्हारीचाहे तुम मुझे सूली पे चढ़ा दो प्यार में कान्हा के मैं खुलकर नाचूँचाहे तुम मुझे प्याला ज़हर का पिला दो मोहब्बत अगर गुनाह है समझते होतो मुझको दीवारों में जिंदा चिनवा दो ना छोड़ेंगे हम कभी अपनी दीवानगीचाहे तुम मुझे पत्थरों से मरवा दो चीनाब हम पार करके ही रहेंगेचाहे तुम मुझे कच्चा घड़ा ही ला दोG014 Post navigation Previous Post कुछ ही लोग होते हैंNext Postक्यूँ मोहब्बत में हक़ीक़त